वाह सीनियर लोग (हिंदी गजल/गीतिका)

वाह सीनियर लोग (हिंदी गजल/गीतिका)
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1
हँसते-गाते मौज मनाते, वाह सीनियर लोग
मस्ती में देखो इठलाते , वाह सीनियर लोग
2
नौजवान भी इनके आगे, पानी ही भरते हैं
अगर डाँस करने पर आते,वाह सीनियर लोग
3
बूढ़ेपन की परिभाषा का, होता मन से रिश्ता
मन से नौजवान कहलाते, वाह सीनियर लोग
4
सुबह सवेरे उठकर कसरत, लिखना- पढ़ना जारी
फिर समाज कार्यों में जाते ,वाह सीनियर लोग
5
साठ साल के यह कब बूढ़े, सौ तक इनमें यौवन
लगता जैसे उम्र घटाते, वाह सीनियर लोग
6
कहलाते अवकाशप्राप्त हैं, पर अवकाश कहाँँ है
सूरज अब भी रोज उगाते ,वाह सीनियर लोग
7
खटिया पर कब पड़े- पड़े, इनको अच्छा लगता है
जब देखो तब दौड़ लगाते, वाह सीनियर लोग
8
हुए रिटायर, फिर भी अपनी पेंशन के रुपयों से
पूरे घर का खर्च चलाते , वाह सीनियर लोग
9
बच्चों के कब मोहताज हैं ,बच्चे इनका खाते
इसीलिए तो हुक्म चलाते, वाह सीनियर लोग
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तरप्रदेश )
मोबाइल 99976 15451