राजयोग महागीता::: प्रभु प्रणाम ( घनाक्षरी ) पो ४
२३
श्याम वर्ण मोहन के , परम आनंद के –
सरसिज समान प्रफुल्ल सुनयन हैं ।
नीर- क्षीर सागर में शेषनाग शैया पर ,
जो नारायण रूप में करते शयन हैं ।
जो करते हैं लीलाएँ प्रकट , अप्रकट भी ,
उन परमेश्वर को कोटिश: नमन हैं ।
अच्युत , अनादि , अज , अद्वैत , अनंत रूप,
नित्य जगदीश्वर को कोटिश: नमन हैं ।।२३!!