मेरी हर इक ग़ज़ल तेरे नाम है कान्हा!
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मेरी हर इक ग़ज़ल तेरे नाम है कान्हा!
तू ही सुरमयी सुबह तू ही शाम है कान्हा।।
कबसे है इंतज़ार तेरे दर्शन का मोहन,
हो रही है ज़ीस्त रोज़ तमाम मेरी कान्हा।।
नीलम शर्मा ✍️
मेरी हर इक ग़ज़ल तेरे नाम है कान्हा!
तू ही सुरमयी सुबह तू ही शाम है कान्हा।।
कबसे है इंतज़ार तेरे दर्शन का मोहन,
हो रही है ज़ीस्त रोज़ तमाम मेरी कान्हा।।
नीलम शर्मा ✍️