मेरी गोद में सो जाओ
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मुझे मोल भाव में रखते है,
कीमत कितनी है आंकते है,
प्रकृति का एक अभिन्न अंग हूँ,
हर जीवों का किस्सा हूँ।
माँ की ममता मुझमें है छुपी,
मेरी गोद मे पालन पोषण ही है,
अमूल्य धरोहर मुझसा ना कोई,
युगों युगो से विद्यमान हूँ यही।
एक-एक इंच के लिए लड़ते है,
ईमान बदलते , बेईमान भी बनते,
रिश्ते बिगड़ते खून है करते,
ऐसा अपमान करो ना अब तुम।
धैर्य मुझसे तुम सुत सीख लो,
लालच तज परोपकार सीख लो,
बोझ ना बन कर प्रेम से रह लो,
यही जन्मे हो ,मेरी गोद में सो जाओ।
रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।