मेंहदी दा बूटा
मेंहदी
मैं इक मेंहदी का बूटा।
किसी घर की नुक्कर में लगा।
जब चाहा
मेरे पत्ते तोङे जाते।
पत्थर पे रख पीसे जाते।
और फिर
छोङ जाता हूँ
हर हथेली पे
लहू जैसा लाल रंग।
क्यू हर औरत मेरे र॔ग से
शगुन मनाती है??
जब कि खुद भी मेरे जैसी
ही उम्र बिताती है!!!
kaur surinder