मृत्यु शैय्या
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मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे
सोचो क्या क्या जी जाओगे
चार उम्रो के लेखे होंगे
शैय्या पर भी अकेले होंगे
जीवन क्षण में क्षरण
मृत्यु का वरण होगा
सांसों की डोरी टूट रही होगी
आंखों में अंधियारा होगा
सपने अक्षि के स्मरण में आएंगे
पर मुख से कुछ ना बोल पाएंगे
कितना कठिन समय होगा
अन्तर भी जब मौन होगा
अपने सारे बैठे होगे
गंगा जल मुख में होगा
फिर धीरे से आंखें बन्द होगी
जीवन की कहानी खत्म होगी
फिर होगी तैयारी जाने की
अपनों की आंखों में अश्रु की धारा होगी
पर विधि का खेल यही है
जिसने जन्म लिया उसको जाना होगा