मान बुजुर्गों की भी बातें
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मान बुजुर्गों की भी बातें
ज़रा न तु मनमानी कर
बुद्धु बना रहेगा कब तक
थोड़ी अक्ल सयानी कर !
कड़वापन ज्यादा ठीक नहीं
मीठी अपनी बानी कर
रिश्तों चाहे जो प्रेम सदा
थोड़ी सी आनी जानी कर !
तांक झांक मत इधर उधर
फितरत से आनाकानी कर
गोरी हो, या काली हो
पत्नी को घर की रानी कर !
ठहराव नहीं जीवन “चुन्नू”
पत्थर पिघला कर पानी कर
निर्मल सरिता सी धार बहे
औरों के नाम जवानी कर !
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता-मऊ (उ.प्र.)