मातृभूमि
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मातृभूमि पर तू अपना
सर्वस्व वार दे
वतन की खातिर
दुश्मनों को जमीं में गाड़ दे
वतन परस्ती की राह में
खुद को तू निसार दे
आँख जो पड़े दुश्मन की
गोलियों से तू जवाब दे
चीरकर दुश्मन का सीना
माँ भारती पर वार दे
जीवन की हर एक रक्त बूँद को
मातृभूमि पर निसार दे
तू शेर है माँ भारती का लाल है तू
हर एक सांस इस पर तू वार दे
तेरे हर कदम की गर्जना
दुशमनों की सांस उखाड़ दे
मिटा कर शख्सियत दुश्मन की
वन्दे मातरम् उचार दे
बहे दुशमनों का लहू
इतने तू उन पर वार दे
सीमा पर बैठे दुशमनों की
साजिशों को नाकाम कर दे
पीर अपने दिल की भुलाकर
माँ भारती को सम्मान दे
करके दुशमनों पर वार
माँ भारती की जय – जयकार
मादरे वतन को करें रोशन
अपने वतन को सम्मान दें
विश्व में हो चर्चा मादरे वतन की
संस्कृति की गंगा बहा दें
घर – घर बहायें संस्कारों की गंगा
विश्व पटल पर माँ भारती को विराजें
मातृभूमि पर तू अपना
सर्वस्व वार दे
वतन की खातिर
दुश्मनों को जमीं में गाड़ दे
वतन परस्ती की राह में
खुद को तू निसार दे
आँख जो पड़े दुश्मन की
गोलियों से तू जवाब दे