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24 Feb 2017 · 1 min read

माँ भारती,तोड़ती पथ्थर

मातृभूमि से बढ़ कर नहीं कोई उपलब्धि तेरी, सत्य विजय से पहले व्यर्थ ही हर रणनीति होती,
धिक्कारती माँ भारती,तोड़ती पथ्थर देखती तुझे छिन्नतार,
कलम में तेरे वो पुरुषार्थ नही तू बैठ रहा लाचार,
उठो माँ भारती के कुल दीपक कर दो अब संखनाद,
कहदो संकर से तुम आज वे करें प्रलय नृत्य फिर एक बार,
सारे भारत में गूँज उठे हर हर बंम्बम का महोत्तचार,
उठो माँ भारती के कुल दीपक, लगाओ भगत को आवाज,
कह दो भगत से आज वे जलाएं सम्मा_ए_वतन फिर एक बार,
तैयार पतगा बैठा है हो सके वतन पर कुर्बान, उठो चलो,देखे वो कौन गरीबी भुखमरी यह कैसा अत्याचार l

Language: Hindi
Tag: कविता
334 Views
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