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5 Mar 2023 · 1 min read

बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।

मुक्तक – पुस्तक मेला

बहुत दिनों से सोचा था, जाएंगे पुस्तक मेले में।
संग सहेली आफिस के सब, पहुंचे पुस्तक मेले में।
चाट पकौड़े खाए, पूरी मौज हुई क्या मेला था,
दूर किताबों से सब थे, जो आए पुस्तक मेले में।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
59 Views
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