बड़ी कालोनियों में, द्वार पर बैठा सिपाही है (हिंदी गजल/ गीति
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बड़ी कालोनियों में, द्वार पर बैठा सिपाही है (हिंदी गजल/गीतिका)
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बड़ी कालोनियों में, द्वार पर बैठा सिपाही है
यहाँ पर सिर्फ कारों की ही, रहती आवाजाही है (1)
बड़ी कालोनियों में सारी, सड़कें ही चमाचम हैं
यहाँ के पेड़-पौधे, क्यारियाँ हर चीज शाही है (2)
अजब-सा एक सन्नाटा है, मिल जो जाए कोई तो
नमस्ते तक नहीं होती, यही जन्नत तो चाही है (3)
पड़ोसी था हमारा ही, कई वर्षों से रहता था
दिखा तो समझा मैं यों ही, टहलता कोई राही है (4)
यहाँ पर हाय-हैलो बस, दिखावे की ही चलती है
यहाँ संबंध थोड़ा – भी, बढ़ाने की मनाही है (5))
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रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451