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28 Feb 2024 · 1 min read

*प्राण-प्रतिष्ठा (दोहे)*

प्राण-प्रतिष्ठा (दोहे)
____________________
1)
प्राण-प्रतिष्ठा से हुआ, धन्य अयोध्या धाम
कलियुग में यों अवतरित, रामलला अभिराम
2)
अपनी संस्कृति देश की, माटी का अभिमान
रामलला की दिव्य है, मनमोहक मुस्कान
3)
सप्तपुरी-सा हो गया, श्रेष्ठ अयोध्या धाम
घर आए जब लौटकर, दिव्य हमारे राम
4)
दर्शन से प्रभु राम के, मिटते हैं सब पाप
धाम अयोध्या जाइए, करें नाम का जाप
5)
प्राण-प्रतिष्ठा से हुआ, प्रमुदित भारतवर्ष
गली-गली उत्साह है, नगर गॉंव में हर्ष
6)
आओ रच दें फिर नया, रामराज्य का रूप
रचें अयोध्या धाम शुचि, रामलला फिर भूप
7)
खोए भारत को मिली, फिर अपनी पहचान
धाम अयोध्या राम प्रभु, मतलब हिंदुस्तान
8)
आए अच्छे दिन मधुर, नया अयोध्या धाम
वायुयान उड़ने लगे, सुंदर दृश्य तमाम
9)
सदियों तक सहता रहा, तिरस्कार अभिशाप
गूॅंज अयोध्या में रही, अब हर्षित पदचाप
10)
तीर्थों में सबसे बड़ा, तीर्थ अयोध्या धाम
कोटि-कोटि जन चल पड़े, दर्शन करने राम
11)
सरयू में डुबकी लगी, दर्शन पाए राम
काया उसकी धन्य है, गया अयोध्या धाम
12)
आनंदित ऑंसू बहे, सबको हर्ष अपार
प्राण-प्रतिष्ठा से खुले, स्वाभिमान के द्वार
13)
अहा-अहा क्या खूब है, प्रभु की मृदु मुस्कान
रामलला को देखता, प्रमुदित हिंदुस्तान
14)
चंचल बालक हैं मगर, रामलला गंभीर
धन्य पधारे आप प्रभु, हरने जग की पीर
________________________
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 999761545

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