पुलवामा अटैक

तुमने देखा
कैसे कटी होगी
ये रातें,ये दिन।
सो गया तू तो ,सीने पर गोली खा।
कैसे अपने हाथों सिंदूर था पोंछा।
कैसे लाल अपने को गोद मे उठा।
कहां था मुखाग्नि पिता। को दिखा।
क्या तुमने देखा???
बूढ़े मां बाबा को कैसे दिया हौसला।
कितना मुश्किल रहा होगा तब जीना।
बाप को देना पड़ा हो बेटे को कंधा।
कैसे जी रही हूं अश्कों को मैं छिपा।
क्या तुमने देखा ???
छोटी बहन की कैसे की डोली विदा।
राखी पर बहन को मैं न सकी समझा।
कैसे तीज पर न गया कोई उसे लिवा।
कैसे पूरी करूं भाई की कमी बता।
क्या तुमने देखा???
हंस देती हूं मैं कैसे अश्कों को छिपा।
मेरा पूरा जीवन गये हो रंगहीन बना ।
कैसे बनी हूं पत्थर मैं ठोकर खा खा।
कितना कठिन एक विधवा कहलाना।
क्या तुमने देखा???
सुरिंदर कौर