पास जीवन के इम्तहान में क्या
पास जीवन के इम्तहान में क्या
सोचना उम्र की ढलान में क्या
पंख डर के लगा यहाँ अपने
उड़ सकेगा तू आसमान में क्या
घूरती क्यों निगाहें हैं मुझको
झूठ है कुछ मेरे बयान में क्या
जख्म दिल के कुरेदता हरदम
तीर अब भी बचे कमान में क्या
झूठ के शब्द लड़खड़ा जाते
सच कभी छिप सका जबान में क्या
जीत मिलती अगर फरेब से तो
अर्चना सर ये उठता शान में क्या
डॉ अर्चना गुप्ता