दिल लगाएं भगवान में
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/374daca6f64ae6f564f1eac90753a1c0_8d65841ad8cfd452bf6066d134d5b27d_600.jpg)
जीवन का अंतिम पड़ाव तो, निश्चित ही शमशान है
लाभ हानि की दृष्टि से, जीवन का नुक़सान है
लाभ हानि नुकसान फायदा, जीवन से हैं जुड़े हुए
हितकर और अहितकर दोनों, सुख दुख लेकर खड़े हुए
आते जाते रहते हैं जीवन में,जब तक जीवन चलता है
नहीं कोई जीवन ऐसा है, दोनों के बिना निकलता है
हानि लाभ नुकसान फायदा,निज कर्मों के साथी हैं
प्राकृतिक नुकसान फायदे,सबके जीवन साथी हैं
सब कुछ नश्वर है बन्धु, सृष्टि सकल जहान में
सुख शांति से रहें धरा पर,दिल लगाऐं भगवान में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी