दिल में है जो बात
जो बात दिल में है बतलाऊं कैसे?
जो हाल-ए-दिल है, समझाऊं कैसे?
क्यों बेवजह तुम ज़िद किये जाते हो
मसला ए दिल मैं, सुलझाऊं कैसे?
दिल की बात सुनाती है ये आंखें
इन में तुम बसे हो, दिखलाऊं कैसे?
साथ तेरे जिंदगी गुजारनी है मुझे
बात ये तेरे लबों से, बुलवाऊं कैसे?
इतना आसां नही साथ चल दे दोनों
दुनिया का ये रिवाज, उल्टाए कैसे?
सुरिंदर कौर