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12 Feb 2024 · 1 min read

दिल कि गली

दिल की गली में बाहारों
की बरखा प्यासी कली पागल हुई
नदी सी सागर पिया से मिलने
चली।।
फुहारों की बरखा दिल पे
मुहब्बत की दस्तक बाहारों की तुफा
पागल हुई नदी सी सागर की हद में मिली।।
पायल सी झम झम
कल कल की कलरव
बलखाती इतराती सुहागन
पागल हुई नदी पिया सागर
के दामन में सिमटी।।
सहमी कभी ठहरी कभी
गीले शिकवो के तोहमद लाज
नज़ाकत वक्त की दहलीज
पागल हुई नदी ।।
प्यासी कली सागर की मोहब्बत
दुनियां की हकिकत ना जाने
कितने अरमंनो की जमी।।
पागल हुई नदी सागर पिया के
प्यार में अंधी न जाने कितने ही
चाहतों की जनाजे पढ़ी।।

Language: Hindi
213 Views
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