दर्द निस्बत मुझे कुछ खास हो गयी है
जो भी ख़लिश थी दिल में एहसास हो गयी है
दर्द निस्बत मुझे कुछ खास हो गयी है
वजूद हर ख़ुशी का ग़म से है इस जहाँ में
फिर जिंदगी क्यूँ इतनी उदास हो गयी है
चराग़ जल रहा है यूँ मेरी मोहब्बत का
दिल है दीया, तमन्ना कपास हो गयी है
शिकवा नहीं है कोई अब उनसे बेरूखी का
यादों में मोहब्बत की अरदास हो गयी है
नदीश मोहब्बत में वो वक़्त आ गया है
तस्कीन प्यास की भी अब प्यास हो गयी है
लोकेश नदीश