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5 May 2024 · 1 min read

जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ ना रह गया

जिंदगी तेरे सफर में क्या-कुछ न रह गया
कहीं ख्वाब रह गए कहीं अरमान रह गया
जिंदगी तेरे सफर में………..

बचपन था खुशनुमा वो खुशियाँ बटोरते थे
प्रवाह नहीं थी कोई क्या-क्या ना तोड़ते थे
सपनों भरा वो बचपन गुमनाम रह गया
कहीं ख्वाब रह गए……….

जवानी कहीं खो गई मोहब्बत की चाह में
क्या पता था ये गुजरेगी चाहत की आह में
टूटे दिलों का महबूब को पैगाम रह गया
कहीं ख्वाब रह गए…………

उम्र का तकाजा हैं ये लड़खड़ाते हुए कदम
जीवन है क्या ये जाना और टूटे सभी भ्रम
“V9द” ये बुढापा जैसे मेहमान रह गया
कहीं ख्वाब रह गए…………

स्वरचित
V9द चौहान

1 Like · 193 Views
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