जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
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जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
यही इच्छा है मेरी जिसे हरगिज ना ठुकराना
जलाना आग में ना ही………..
किसी के काम आ जाए सुनो मिट्टी की ये काया
मेरा तन सौंप देना तुम ना कोई रस्में निभाना
जलाना आग में ना ही…………
अगर अंधे को ये आंखें मिले वह देख ले दुनिया
सदा जलते रहे दीपक इन्हें हरगिज ना बुझाना
जलाना आग में ना ही…………
मेरे तन का कोई ये अंग किसी के काम आ जाए
मैं मरकर भी रहूॅ॑ जिंदा यूं बन जाऊं अफसाना
जलाना आग में ना ही…………
अगर नियती है भाग्य की जन्म लेना फ़नाह होना
मेरी मैयत पे आकर के कोई दुख ना जताना
जलाना आग में ना ही………….
वसीयत है मेरी यह देह यूॅ॑ही बस बेकार ना जाए
सुनो “V9द” ये चाहे दिलों में यूॅ॑ ही मुस्काना
जलाना आग में ना ही………….