Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Oct 2022 · 1 min read

जख्म के दाग हैं कितने मेरी लिखी किताबों में /”लवकुश यादव अज़ल”

हर दर्द ,ज़ख्म यूँ ही नही मिलता है जमाने में,
दर्द को गुजरना पड़ता है सूनसान राहों से।
होंठ लाल हैं उनके जरा देखो लवकुश,
रक्त का कतरा कतरा निछोडा मेरी बांहों से।।

हम तो अंजान हैं अब भी महफ़िल के सितारों से,
जख्म के दाग हैं कितने मेरी लिखी किताबों में।
लौट आ मेरे शहर पीते हैं जाम किसी मयखाने में,
जख्म के दाग हैं कितने मेरी लिखी किताबों में।।

कई शामें हैं कैद जान तेरे सिर्फ मुस्कराने में,
इश्क़ के बाग में कैद हम भी कई जमाने से।
हर दर्द ,ज़ख्म यूँ ही नही मिलता है जमाने से,
दर्द को गुजरना पड़ता है सूनसान राहों से।।

अश्क़ के दाग है दिखाता ये सिरहाना मेरा,
कई सवाल हैं पूछे मेरी कलम की स्याही ने।
कितने गीत हैं लिखे हमने तेरी रुसवाई में,
दर्द कम क्यों नहीं होता दर्द की दवाई में।।

चेहरा देखना अपना आईने से पहले किताबो में,
नाम तुम्हारा ही लिखा है आज भी मेरी बांहों में।
कई शामे हैं कैद जान तेरे सिर्फ मुस्कराने में,
इश्क़ के बाग में कैद हैं हम भी कई जमाने से।।

लवकुश यादव “अज़ल”
अमेठी ,उत्तर प्रदेश

5 Likes · 4 Comments · 108 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
जिंदगी और उलझनें, सॅंग सॅंग चलेंगी दोस्तों।
जिंदगी और उलझनें, सॅंग सॅंग चलेंगी दोस्तों।
सत्य कुमार प्रेमी
कुछ समय पहले
कुछ समय पहले
Shakil Alam
करुणा के बादल...
करुणा के बादल...
डॉ.सीमा अग्रवाल
आया होली का त्यौहार
आया होली का त्यौहार
Ram Krishan Rastogi
एक रावण है अशिक्षा का
एक रावण है अशिक्षा का
Seema Verma
@ !!
@ !! "हिम्मत की डोर" !!•••••®:
Prakhar Shukla
पिता की आंखें
पिता की आंखें
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि’
कैसे तेरा दीदार करूँ
कैसे तेरा दीदार करूँ
VINOD KUMAR CHAUHAN
नहीं, बिल्कुल नहीं
नहीं, बिल्कुल नहीं
gurudeenverma198
जो तुम समझे ❤️
जो तुम समझे ❤️
Rohit yadav
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Jitendra Kumar Noor
कोई इंसान अगर चेहरे से खूबसूरत है
कोई इंसान अगर चेहरे से खूबसूरत है
ruby kumari
Mera wajud bus itna hai ,
Mera wajud bus itna hai ,
Sakshi Tripathi
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
सह जाऊँ हर एक परिस्थिति मैं,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
निरंतर खूब चलना है
निरंतर खूब चलना है
surenderpal vaidya
भूत प्रेत का भय भ्रम
भूत प्रेत का भय भ्रम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
गोधरा
गोधरा
Prakash Chandra
शिक्षा एवं धर्म
शिक्षा एवं धर्म
Abhineet Mittal
शबे- फित्ना
शबे- फित्ना
मनोज कुमार
सफ़र
सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
बहुत समय बाद !
बहुत समय बाद !
Ranjana Verma
आज हमने सोचा
आज हमने सोचा
shabina. Naaz
माशूका नहीं बना सकते, तो कम से कम कोठे पर तो मत बिठाओ
माशूका नहीं बना सकते, तो कम से कम कोठे पर तो मत बिठाओ
Anand Kumar
उत्कृष्ट सृजना ईश्वर की, नारी सृष्टि में आई
उत्कृष्ट सृजना ईश्वर की, नारी सृष्टि में आई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,
ज़हर ही ज़हर है और जीना भी है,
Dr. Rajiv
****प्राणप्रिया****
****प्राणप्रिया****
Awadhesh Kumar Singh
2268.
2268.
Dr.Khedu Bharti
शेयर
शेयर
rekha mohan
*टैगोर काव्य गोष्ठी* भारत जिंदाबाद लोकार्पण
*टैगोर काव्य गोष्ठी* भारत जिंदाबाद लोकार्पण
Ravi Prakash
Loading...