-: चंद्रयान का चंद्र मिलन :-
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-: चंद्र यान का चंद्र मिलन:-
चंद्र धरा पर देखो हमने,
परचम है लहराया।
नमस्कार मेरे चंद्रयान को
चंद्र फतह कर आया।
चंद्रधरा को चंद्र ने छुआ तो
चंद्रलोक में चांदनी चमकी
सावन की रातों में
मीठी बरसातों में,
आनंद रूपी दामिनी दमकी
उतफुल्ल होकर चंद्र देव ने
चंद्र को चंदन चाप चढ़ाया
यान विशिष्ट है भारत से आया
कहकर अपने कंठ लगाया
मानो लगा कि ऐसे जैसे
चंदा से जाके चकोर मिली हो
विरहणी वनिता जो बरसों से विछड़ी थी।
जाके स्वामी के कंठ लगी हो
दृश्य ये ऐसा की जिसने भी देखा
नयनो में अश्रु सजल भर आए
उन्मुक्त होकर गाने लगे सब
हम तो चंद्र विजय कर आए
– पर्वत सिंह राजपूत
ग्राम सतपोन (श्यामपुर)