Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Oct 2022 · 1 min read

घोर अंधेरा …………….

घोर अंधेरा

…………….

हुआ विदा सन्नाटा अब

कालापन नहीं दिखायेगा ,

फिर से आकर घोर अँधेरा

हमको नहीं डरायेगा !

नया उजाला पाकर वो

सूनेपन में छुप जायेगा ,

दुख के काले गहरे बादल

अब करीब ना आयेगा !

भरी सिसकियो से वो मौसम

मुझको नहीं रुलाएगा ,

खुशियो की सौगात लिए वह

इक दिन सम्मुख आएगा !

कंटिल पथ पर वो बिखेर देगा

फिर से इक नया नजारा ,

सारा दुख घबराकर फिर तो

दूर भाग वह जायेगा !

दोनो हाथो से खुशियों का

दामन स्वयं पकड़ लूंगी ,

और बांध लूंगी उसको मैं

विश्वासों के आंचल में ,

पाकर अपनापन नवीन वो

फिर मेरा हो जायेगा !

कलतक थी बेचैन बहुत मैं

रात बिताना मुश्किल था ,

भर देगा वह नया रंग

मेरे इस सूने जीवन में ,

धीरे धीरे सहलाकर वह

मीठी नींद सुलायेगा !

“कविता चौहान”

Language: Hindi
Tag: Hindi Poetry, Kavita
1 Like · 78 Views
You may also like:
हमारा प्यारा गणतंत्र दिवस
हमारा प्यारा गणतंत्र दिवस
Ram Krishan Rastogi
बाल कहानी- गणतंत्र दिवस
बाल कहानी- गणतंत्र दिवस
SHAMA PARVEEN
✍️कुछ चेहरे..
✍️कुछ चेहरे..
'अशांत' शेखर
*समंदर हो गया (हिंदी गजल/गीतिका)*
*समंदर हो गया (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
माँ के सपने
माँ के सपने
Rajdeep Singh Inda
"एको देवः केशवो वा शिवो वा एकं मित्रं भूपतिर्वा यतिर्वा...
Mukul Koushik
आंखों में कभी जिनके
आंखों में कभी जिनके
Dr fauzia Naseem shad
चश्में चरागा कर दिया।
चश्में चरागा कर दिया।
Taj Mohammad
Kabhi kabhi har baat se fark padhta hai mujhe
Kabhi kabhi har baat se fark padhta hai mujhe
Roshni Prajapati
आपकी कशिश
आपकी कशिश
Surya Barman
शब्द वाणी
शब्द वाणी
Vijay kannauje
"उस इंसान को"
Dr. Kishan tandon kranti
करना धनवर्षा उस घर
करना धनवर्षा उस घर
gurudeenverma198
बेटियाँ, कविता
बेटियाँ, कविता
Pakhi Jain
दाता
दाता
निकेश कुमार ठाकुर
तितलियाँ
तितलियाँ
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
पूर्व दिशा से सूरज रोज निकलते हो
Dr Archana Gupta
पितृसत्ता का षड्यंत्र
पितृसत्ता का षड्यंत्र
Shekhar Chandra Mitra
डगर-डगर नफ़रत
डगर-डगर नफ़रत
Dr. Sunita Singh
💐💐संसारः निरन्तर: प्रवाहवान्💐💐
💐💐संसारः निरन्तर: प्रवाहवान्💐💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
श्रृंगारपरक दोहे
श्रृंगारपरक दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
आत्मा को ही सुनूँगा
आत्मा को ही सुनूँगा
राहुल द्विवेदी 'स्मित'
कोयल मतवाली
कोयल मतवाली
Surinder blackpen
वैष्णों भोजन खाइए,
वैष्णों भोजन खाइए,
Satish Srijan
★ ACTION BOLLYWOOD MUSIC ★
★ ACTION BOLLYWOOD MUSIC ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
धर्मराज
धर्मराज
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अनेकों ज़ख्म ऐसे हैं कुछ अपने भी पराये भी ।
अनेकों ज़ख्म ऐसे हैं कुछ अपने भी पराये भी ।
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Wakt ko thahra kar kisi mod par ,
Wakt ko thahra kar kisi mod par ,
Sakshi Tripathi
■ सीधी सपाट
■ सीधी सपाट
*Author प्रणय प्रभात*
चक्षु द्वय काजर  कोठरी , मोती अधरन बीच ।
चक्षु द्वय काजर कोठरी , मोती अधरन बीच ।
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
Loading...