गुमशुदा लोग
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/c0c8efd481c19bde4f0a6cc41752296e_71bfc8016487dc496353a4f8d1a32001_600.jpg)
वह लोग,
जो बार–बार विलिन होता हैं,
दुसरे के छाया मे,
जब वह खडा होता हैं,
खुद गुमशुदा बन जाता हैं ।
वह लोग,
जो खुद छाया नही बन पाता है,
खुद के छाया के लिए लिए तो,
धूप मे खुद को खडा रहना पडता हैं,
ऐसा न करने पर वह विलिन होता हैं ।
वह लोग,
जो धरातल भूल जात है,
आकाश बेली बनने के लिए,
जोड से खुद को फैलाता है,
तब भी वह अपने को गुमशुदा बनाता है ।