ग़ज़ल सगीर
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गरीबों की शिकायत लाजमी है।
अभी भी दूर उनसे रोशनी है।
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अपना अपना सिर्फ करना।
बताओ यह भी कोई जिंदगी है।
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फरिश्ते सब लिख रहे है।
सभी के हाथ में नेकी बदी है।
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खरी बातें मैं सबसे बोलता हूं।
सभी से दुश्मनी अब हो गई है।
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ज़माने को असर अंदाज़ कर दे।
सगी़र ऐसी हमारी शायरी है।
❤️❤️❤️❤️❤️
डा०सगी़र अहमद सिद्दीकी खैरा बाजार बहराइच