*खिला हुआ हर एक पुष्प ज्यों मुरझा जाना तय है (हिंदी गजल गीतिका)*

*खिला हुआ हर एक पुष्प ज्यों मुरझा जाना तय है (हिंदी गजल गीतिका)*
_________________________
1
खिला हुआ हर एक पुष्प ज्यों मुरझा जाना तय है
सेहतमंद देह का ऐसे हर दिन होता क्षय है
2
पता सभी को है यों तो इस तन को मर जाना है
किंतु न जाने क्यों सबको ही रहता इसका भय है
3
दृश्य जगत यह जो दिखता है सुंदर और असुंदर
महाशून्य में एक दिवस इस सब का निश्चित लय है
4
सब लीला है परमपिता की इस लौकिक दुनिया में
हानि-लाभ हर एक पराजय अर्थहीन हर जय है
5
सदा याद हे प्रभो रहे तन नश्वर नियत मरण है
राग द्वेष मद मोह रहित हो जीवन यही विनय है
_________________________
*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451