क्यूं हँसते है लोग दूसरे को असफल देखकर
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हंसो हंसो हंसो
कब तक नहीं रुकेगी हंसी
आज जो बीता है पल
कल आपकी याद बन जायेगी
प्रयास कर रहा था कुछ नया करने का
लेकिन हँस रहे थे मुझ पर दुसरे
आज वही फँस गए जो हँस रहे थे मुझ पर
जब भी प्रयास करता हूँ
कभी असफल हो जाता हूँ
तो फिर हंसने वालो की कतार लग जाती है
क्या कहूँ उन हंसक्कङो के बारे मे
की किस खुशी मे उन्हें हंसी आती है
पूनः उठकर दूसरे प्रयास मे सफ़ल हो जाता हूँ,
तो उनकी हंसी उदासी का रूप ले लेती है ।
कवि : प्रवीण सैन नवापुरा ध्वेचा
बागोड़ा, (जालोर)