कैसे देखनी है…?!
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घड़ी कैसे देखनी है, ये क़िताब सिखाती है।
क़िताब कैसे देखनी है, ये वक्त सिखाता है।
वक्त कैसे देखना है, ये हालात सिखाते हैं।
हालात कैसे देखने हैं, ये दुनिया सिखाती है।
दुनिया कैसे देखनी है, ये ज़िंदगी सिखाती है।
ज़िंदगी कैसे देखनी चाहिए, ये मौत सिखाती है।
मौत कैसे देखनी है, ये भी ज़िंदगी ही सिखाती है।
✍️सृष्टि बंसल