*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
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केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
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1)
केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है
गुड़ का स्वाद जानता वह ही, जिसने गुड़ को खाया है
2)
जिन पेड़ों पर छॉंव नहीं है, खड़े ठूॅंठ से दिखते हैं
उन पेड़ों के पास पथिक कब, लेने आश्रय आया है
3)
सदा यत्न से रखो स्वस्थ तन, यह अनमोल खजाना है
जो है भार धरा पर उसको, अर्थी ने अपनाया है
4)
करो प्रशंसा सदा अन्य की, काम जगत के नित आना
आत्म-प्रशंसक शेखी वाला, इस जग ने ठुकराया है
5)
पुण्य किए थे जितने जिसने, काम बुढ़ापे में आए
स्वार्थ सिद्ध करने वालों को, जग ने भी भटकाया है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451