Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Jan 2017 · 3 min read

किस्सा–चंद्रहास क्रमांक–8

***जय हो श्री कृष्ण भगवान की***
***जय हो श्री नंदलाल जी की***

किस्सा–चंद्रहास

क्रमांक–8

वार्ता– जब धृष्टबुद्धी दिवान लड़के को मरवाने के लिए जल्लाद भेज देता है तो जल्लाद लड़के को बियाबान जंगल में ले जाते हैं मारने के लिए तब लड़का उनसे कहता है कि मुझे थोड़ा सा समय दे दो ताकि मैं अपने भगवान की स्तुति कर सकूँ।लड़का भगवान की स्तुति करता है।

टेक–दास पै विपत घोर,ओर नहीं चालै जोर,
नागरनट आज्याओ।

१-जब जब भार मही पै हो अवतार धार के आते हो,
निराकार निर्दोष रूप साकार धार के आते हो,
हथियार धार के शक्ति का,प्रचार बढाके भक्ति का,हो के प्रकट आज्याओ।

२-बच्चेपन मै क्रीड़ा करी कहैं दही का चोर हो,
काली देह मै कूद पड़े नंद के किशोर हो,
कछु गौर मोरे हाल पै,कदंब कि डाल पै,यमुना तट आज्याओ।

३-आप हो गए रूष्ट दुष्ट लागे हमको तरसाने,
लिया कंस का खींच अंस अब वो ढंग होंगे दरसाने,
बरसाने नंदगाम मै,गोकुल ब्रज धाम मै,वंशीवट आज्याओ।

दौड़–

अंतर्यामी सबके स्वामी गरूड़गामी अब करो सहा,
सुणो नाथ या मेरी बात चरणों मै माथ रह्या झुका,
करो दया दृष्ट हो कष्ट नष्ट दास आपके रह्या गुण गा,

हे त्रिलोकी भगवान तुम करुणानिधान ,मै बाळक नादान,मेरी टेर सुणो,
काटो कष्ट ये महान,थारा करूँ गुणगान,कभी भूलू ना एहसान,करो मेहर सुणो,
आप करते सहाई,लाज भक्तों की बचाई,आज कहाँ पै लगाई, तुमनै देर सुणो,

प्रहलाद को बचाया तुमनै गोद मै उठाया,
सारे जग मै समाया प्रकाश तेरा,
करुणा करी करि पै जल मैं,तुमनै बचा लिए पल मै,प्रभु करता हूँ अटल मै, विश्वास तेरा,
हो दीन के दयाल,भक्तों के प्रतिपाल,राखिये संभाल,मैं हुं दास तेरा,

ध्रुव भक्त को बच्चेपन मै,तुमने दर्शन दिए बन मै,किया अडिग गगन मै करतार सुणो,
तुमनै पापी दुष्ट मारे,सारे भक्त उभारे,संत सज्जन पार तारे,सृजनहार सुणो,
काटो कष्ट का ये घेरा,दुखी हो लिया भतेरा,ओर कोई नहीं मेरा आधार सुणो,

गरीब के नवाज आज राखो मेरी लाज,हुं मोहताज ओ बृजराज,काज सार दियो जी,

जो जन चरण शरण मै रहते,जपते जाप ताप ना दहते,कहते खष्ट दस अष्ट वाक ऋषियों के स्पष्ट,हों अग नष्ट दया दृष्ट कष्ट टार दियो जी,

होकैं मग्न लग्न ला रटैं ,दे प्रभु मेहर फेर दुख कटैं,बटै चाम के ना दाम,रामनाम सुख धाम,काम वासना तमाम,मेरी मार दियो जी,

संत निश्चिंत रहैं नित की,उज्जवल बुद्धि शुद्धि चित की,हे पतित कि पुकार,सृजनहार गुनहगार मझदार,पार तार दियो जी,

हाथ जोड़ अस्तुती करता धरता ध्यान चरण के म्हां,
जब ध्यान चरण मै लावण लाग्या,बार बार गुण गावण लाग्या,दिल अंदर घबरावण लाग्या,संकट के मै करो सहा,

तेरा नूर भरपूर दूर ना रोम रोम मै रम्या होया,जल मै थल मै सारी सकल मै पल मै करदे क्या से क्या,श्रुति स्मृति तनै कुदरती मूर्ति मै भी रहे बता,
लाये लगन होय मगन परम अगन मै देवै बचा,

कृपालु दयालु भालु मर्कट करि तार दिए,
मेहर फेर टेर सुण उर्गारी तार दिए,
नल नील जल तल उपल हरी तार दिए,

कर पर सर धर जनक जा प्रण राख्या,
ख्याल कर दयाल व्याल शीश पै चरण राख्या,
हित चित नित प्रभु भक्तो को शरण राख्या,

श्रद्धा भक्ति प्रेम देख पडे चक्कर मै जल्लाद सुणो,
केशोराम नाम की रटना माफ करै अपराध सुणो,
कुंदनलाल कहै नंदलाल करैं इमदाद सुणो,
बेगराज कहै राजकंवर करै फरियाद सुणो।

४-हरे सूखा दे मरे जीवा दे भरे रीता कै फेर भरै,
कुंदनलाल गुरु चरणों मै हित चित नित प्रति ध्यान धरै,
डरै देख कै काल आपको,याद करै नंदलाल आपको,झटपट आज्याओ।

कवि: श्री नंदलाल शर्मा जी
टाइपकर्ता: दीपक शर्मा
मार्गदर्शन कर्ता: गुरु जी श्री श्यामसुंदर शर्मा (पहाड़ी)

Language: Hindi
1 Like · 778 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ज़िद..
ज़िद..
हिमांशु Kulshrestha
"पृथ्वी"
Dr. Kishan tandon kranti
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
हां मैं इक तरफ खड़ा हूं, दिल में कोई कश्मकश नहीं है।
Sanjay ' शून्य'
माँ
माँ
Arvina
सारे ही चेहरे कातिल है।
सारे ही चेहरे कातिल है।
Taj Mohammad
2898.*पूर्णिका*
2898.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
स्वयं का न उपहास करो तुम , स्वाभिमान की राह वरो तुम
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
दोहा त्रयी. . . . शमा -परवाना
sushil sarna
मानव जीवन की बन यह पहचान
मानव जीवन की बन यह पहचान
भरत कुमार सोलंकी
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
कम कमाना कम ही खाना, कम बचाना दोस्तो!
सत्य कुमार प्रेमी
दीवारों की चुप्पी में
दीवारों की चुप्पी में
Sangeeta Beniwal
माँ
माँ
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
,,........,,
,,........,,
शेखर सिंह
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
"मिलते है एक अजनबी बनकर"
Lohit Tamta
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
कहो तुम बात खुलकर के ,नहीं कुछ भी छुपाओ तुम !
DrLakshman Jha Parimal
मन की कामना
मन की कामना
Basant Bhagawan Roy
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
शिव प्रताप लोधी
Swami Vivekanand
Swami Vivekanand
Poonam Sharma
झरोखों से झांकती ज़िंदगी
झरोखों से झांकती ज़िंदगी
Rachana
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
*राम हिंद की गौरव गरिमा, चिर वैभव के गान हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
"मां की ममता"
Pushpraj Anant
#अंतिम_उपाय
#अंतिम_उपाय
*प्रणय प्रभात*
शून्य से अनन्त
शून्य से अनन्त
The_dk_poetry
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
ज़िंदगी को मैंने अपनी ऐसे संजोया है
Bhupendra Rawat
वक़्त  बहुत  कम  है.....
वक़्त बहुत कम है.....
shabina. Naaz
हिकारत जिल्लत
हिकारत जिल्लत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
When conversations occur through quiet eyes,
When conversations occur through quiet eyes,
पूर्वार्थ
तन्हाई
तन्हाई
Surinder blackpen
तुम हो कौन ? समझ इसे
तुम हो कौन ? समझ इसे
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...