*कहने को सौ बरस की, कहानी है जिंदगी (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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कहने को सौ बरस की, कहानी है जिंदगी (हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
कहने को सौ बरस की, कहानी है जिंदगी
ओझल हो पल में आँख से, जाती है जिंदगी
2
भूखे तो कब के रोटियाँ, खा-खा के सो गए
मुश्किल से अमीरों को, सुलाती है जिंदगी
3
सेहत खराब होने से, खिचड़ी ली मूँग की
ऐसे तिजोरियों को, चिढ़ाती है जिंदगी
4
लगती कभी वसंत में, कोयल की कूक-सी
बोझा कभी बनी तो, रुलाती है जिंदगी
5
दीमक ज्यों चाट जाती है, मजबूत लकड़ियाँ
आई बिमारी रोज ही, खाती है जिंदगी
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रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451