Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Feb 2022 · 1 min read

कविता

✨✨कविता✨✨
तड़प!न कोई मजहब,न धर्म
फिर भी एक दर्द है
दुख मित्र हे आपका
ईश्वर की खोज कराता है।

शब्द भी चुभते हैं, अपशब्द जो कहते हैं, हंसाते भी हैं, रूलाते भी
लिखे जाते हैं ये अनंत शब्द
चुभन भी देते,घाव भी देते
शब्दों से खेले नही
सोचे बिना बोले नहीं
मीठा और कोयल सा बोलिए
हर हृदय को प्यारी लगे
ऐसी वाणी बोलिए।

सुषमा सिंह “उर्मि,,

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 123 Views

Books from Sushma Singh

You may also like:
मां
मां
KAPOOR IQABAL
🤗🤗क्या खोजते हो दुनिता में  जब सब कुछ तेरे अन्दर है क्यों दे
🤗🤗क्या खोजते हो दुनिता में जब सब कुछ तेरे अन्दर...
Swati
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा वास्तविक प्रेम
हर सुबह उठकर अपने सपनों का पीछा करना ही हमारा...
Shubham Pandey (S P)
सांप्रदायिक राजनीति
सांप्रदायिक राजनीति
Shekhar Chandra Mitra
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
कि मुझे सबसे बहुत दूर ले जाएगा,
Deepesh सहल
मुझे कृष्ण बनना है मां
मुझे कृष्ण बनना है मां
Surinder blackpen
क्या ज़रूरत थी
क्या ज़रूरत थी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मैंने तो ख़ामोश रहने
मैंने तो ख़ामोश रहने
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
भगवान बताएं कैसे :भाग-1
भगवान बताएं कैसे :भाग-1
AJAY AMITABH SUMAN
चल सजना प्रेम की नगरी
चल सजना प्रेम की नगरी
Sunita jauhari
साहित्य - संसार
साहित्य - संसार
Shivkumar Bilagrami
महताब जमीं पर
महताब जमीं पर
Satish Srijan
फक़त हर पल दूसरों को ही,
फक़त हर पल दूसरों को ही,
Aksharjeet Ingole
अभी अभी की बात है
अभी अभी की बात है
कवि दीपक बवेजा
वाणी की देवी वीणापाणी और उनके श्री विगृह का मूक सन्देश (वसंत पंचमी विशेष लेख)
वाणी की देवी वीणापाणी और उनके श्री विगृह का मूक...
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
प्रीति के दोहे, भाग-2
प्रीति के दोहे, भाग-2
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
■ नया शोध...
■ नया शोध...
*Author प्रणय प्रभात*
पुस्तक समीक्षा-----
पुस्तक समीक्षा-----
राकेश चौरसिया
Propose Day
Propose Day
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
💐प्रेम कौतुक-386💐
💐प्रेम कौतुक-386💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
*सड़क छोड़ो, दरवाजे बनवाओ (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
बेटियां तो बस बेटियों सी होती है।
Taj Mohammad
निगल रही
निगल रही
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne shan ki lash uthai
Pal bhar ki khahish ko jid bna kar , apne...
Sakshi Tripathi
✍️कभी कभी
✍️कभी कभी
'अशांत' शेखर
जीवन की अनसुलझी राहें !!!
जीवन की अनसुलझी राहें !!!
Shyam kumar kolare
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
जिसे ये पता ही नहीं क्या मोहब्बत
Ranjana Verma
सफ़र
सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
ऐतबार ।
ऐतबार ।
Anil Mishra Prahari
Loading...