” करवा चौथ वाली मेहंदी “
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” करवा चौथ वाली मेहंदी ”
ब्याही आई जिस दिन मीनू ससुराल में
लुगाई बोली या बिंदणी तो सुंदर आई है
पढ़ी लिखी और बणी ठणी कद काठी
न्यू लागे जैसे स्वर्ग से परी उतर आई है,
राज की लाड़ली बन राज करेगी हमेशा
क्योंकि गोरे गोरे हाथों में मेहंदी गहराई है
लाख का चूड़ा पहन ऊपर से शर्माना मेरा
पड़ोसन बोली दुल्हन ने तो क़यामत ढाई है,
तरण ताल जॉय एडवेंचर का सुकून दे रहा
हल्की सर्दी और सूरज की किरण सुहाई है
प्राकृतिक आनंद और धीमा सा संगीत सुन
आज राज की पहली मुलाकात याद आई है,
पानी से जैसे ही बाहर निकल हाथ लहराया
राज बोला नजर ना लगे क्या मेहंदी रचाई है
नजरें टिकी रही मुझ पर तो थोड़ी शरमाई मैं
अरे साथ मेरे आज नाजुक हवा भी शरमाई है,
पुरानी याद साथ लाया आज ये करवा चौथ
बारह बरस के अंतर ने अब उम्र तो घटाई है
चेहरे पर असर जरूर हुआ थोड़ा सा लेकिन
रंगत मेहंदी की घटी नहीं वो ही गहराई हुई है,
मेरे राज की उम्र लंबी करना और स्वस्थ रखना
मालिक तुझसे करवा चौथ पर आस लगाई है
रिश्ते की धार अब ओर ज्यादा मजबूत करना
पूनिया ने आज तेरे दरबार में दरकास लगाई है।