“औरत ही रहने दो”
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“औरत ही रहने दो”
सीता कह उपहास न करो
जो अपहृत हो जाई,
द्रौपदी हो गई अब बेमानी
कृष्ण कृपा न पाई।
वो दुर्गा या काली बनकर
बने भी क्यों हैरत,
उपमाओं की गठरी न लादो
बस रहने दो औरत।
“औरत ही रहने दो”
सीता कह उपहास न करो
जो अपहृत हो जाई,
द्रौपदी हो गई अब बेमानी
कृष्ण कृपा न पाई।
वो दुर्गा या काली बनकर
बने भी क्यों हैरत,
उपमाओं की गठरी न लादो
बस रहने दो औरत।