इस तरह बदल गया मेरा विचार
नहीं बढ़ा सका मैं,
अपना कदम आगे की ओर,
अपना हाथ उनकी तरफ,
उनसे मिलने को गले,
मैं नहीं जा सका,
क्योंकि वहाँ नहीं मेरी इज्जत,
इस तरह बदल गया मेरा विचार।
बहुत उत्सुक था मैं,
बहुत इंतजार था मुझको,
देखने को उनका चेहरा,
उनके चेहरे पर मेरे लिए खुशी,
उनके दिल में मेरे लिए प्यार,
लेकिन वो नजर आये उदासीन,
इस तरह बदल गया मेरा विचार।
देखना चाहता था मैं,
आँखों में खुशी के आँसू ,
मेरे उनके द्वारा बुलाने का,
मुझको भेजा गया उनका निमंत्रण,
लेकिन मेरे वहाँ जाने का,
उनको नहीं था इंतजार,
इस तरह बदल गया मेरा विचार।
नहीं है उनको फुरसत,
मुझसे मिलने आने की,
मेरे सुख – दुःख के बारे में,
उनके पास नहीं है समय,
शायद मुझको ही है उनसे मतलब,
लेकिन क्यों, ऐसा क्यों है,
इस तरह बदल गया मेरा विचार।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)