आ जेहन में उतर जाओ
एकटक ना देखो सच्चाई को आने दो.
छोड इस जहां दूसरे जहां को जाने दो.
कशिश इन आखों की कैसे भूला दे.
याद आने वाले को कैसे झुठला दे.
लम्हा लम्हा तेरी आखों से बरस पडू.
दहकती ज्वाला को शान्त कर चलू.
आओ पास जेहन मे उतर जाओ.
सात जन्म की प्यास बुझाओ.
डॉ मधु त्रिवेदी