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25 Jan 2017 · 1 min read

आह

खुबाब पल भर का दिखा कर
इन्तजार सदियों का दे गई आँखे

खाई थी कसमे साथ निभाने की
बेवफाई कर गई सारी बातें ……

न दिल की दहलीज पर रखते वो कदम
न आज तन्हाईयों से कोई शिकवा होता..

न जाने कौन सी खता की यह
बे जुबाँ सी सजा दे गई आँखे…….

उन्हें रास आई मुहब्बत औरो की
आंसूं का समंदर हमें दे गई आँखे….

मिशा

Language: Hindi
Tag: कविता
218 Views

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