आया है फागुन आया है

लगी है थाप चंग पर,चली है रंग की पिचकारी।
गीत गा रही फागुन के, झूमकर यह दुनिया सारी।।
आया है फागुन आया है, आया है फागुन आया है।
लगी है थाप चंग पर——————–।।
करो नहीं बात अब ऐसी, उदासी चेहरे पर छाये।
खुशी की ऋतु आई है, खुशी के गीत हम गाये।।
चली है टोली रंग लेकर, हंसी से झोली भर सारी।
गीत गा रही फागुन के, झूमकर यह दुनिया सारी।।
(आया है फागुन आया है, आया है फागुन आया है)
लगी है थाप चंग पर——————–।।
हीर ने रांझा से बोला, मोहब्बत से मुझको रंग दो।
और इस लाल रंग से, मांग तुम यह मेरी भर दो।।
मोहब्बत के रंगों से तुम, मिटने दो नफरत सारी।
गीत गा रही फागुन के, झूमकर यह दुनिया सारी।।
(आया है फागुन आया है, आया है फागुन आया है)
लगी है थाप चंग पर——————-।।
बहुत खुश हैं आज किसान, हरे खेतों को देखकर।
खेतों में इठलाती फसलें, गेहूँ की बालियां देखकर।।
जलाकर आग होली की, नाचे उनकी बस्ती सारी।
गीत गा रही फागुन के, झूमकर यह दुनिया सारी।।
(आया है फागुन आया है, आया है फागुन आया है)
लगी है थाप चंग पर——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)