आत्मा शरीर और मन
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आत्मा शरीर और मन
पंचतत्व से निर्मित है,मानव शरीर हमारा
नश्वर हैं पंचतत्व, नश्वर है संसार ये सारा
शाश्वत आत्मा जब तक है, जीवित है शरीर हमारा
हर एक जीवित मानव तन में,अमर आत्मा रहती है
हर दिन हर घड़ी आत्मा, हमसे कुछ कहती रहती है
सुनते नहीं आत्मा की,हम अक्सर मन की करते हैं
मन रहता है भौतिकता में,हम उसके पीछे फिरते हैं
क्षणिक वासना कामनाओं में, जीवन खोते रहते हैं
आत्म उन्नति परमात्मप्राप्ति, आत्मा कहती रहती है
अनसुनी कर आत्मा को, इच्छा इंद्रियों में वहती है
सद्गुरु ध्यान अभ्यास से,मन पर नियंत्रण होता है
आध्यात्मिक उन्नति और परमात्मा मिलन तब होता है
सुनता नहीं आत्मा की जो, व्यर्थ ही जीवन खोता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी