आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
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आखरी है खतरे की घंटी, बंधु होश में आ जाओ
विन पानी जीवन न होगा, जीवन का सत्य समझ जाओ
जिसकी बूंद बूंद में,सबका जीवन वसता है
बहा रहे हो ऐसे जैसे, ये बेकार और सस्ता है
पानी है अनमोल जगत में,देखो कितनी हालत खस्ता है
बूंद बूंद बचाओ सब,अब बचा एक ही रास्ता है
एक है प्यासा विन पानी के, एक नाली में बहा रहा
जान बूझ कर जल श्रोतों में, कचरा अपना बहा रहा
नहीं प्रदूषण फैलाओ,जल जंगल जमीन बचाओ
आखरी है खतरे की घंटी,बंधु होश में आ आओ
विन पानी जीवन न होगा, छोटी सी बात समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी