आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं

आओ आज तुम्हें मैं सुला दूं।
छोटी-सी एक लोरी सुना दूं।
मां की जिम्मेदारी नहीं तू
पिता का प्यार तुम्हें समझा दूं
मम्मी तेरी को बहुत है काम,
दिन भर वो न करती आराम,
मा के घुटनों में होता है दर्द
लगाती होगी मां को वो बाम।
महफूज़ है तू मेरी पनाहों में
पिता ही चुने कांटे राहों के,
सो जा बेफिक्र हो मेरे बच्चे
मुझे भी चैन तेरी बांहों में।
सुरिंदर कौर