Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2016 · 1 min read

आँखो से बात करे

कभी आता है ख्याल तुम्हारा,
दिल करता है तुमसे बात करे,
इतनी तो दुश्मनी नहीं है
चलो एक मुलाकात करे।

मै तुमसे तुम मुझसे हो,
खफा किस बात पर मालूम नहीं ,
इश्क पर किसी का जोर चलता नहीं,
जब इश्क का फैसला दो दिल साथ करे।

कहाँ से इब्तिदा करिये अब,
कि दीदार हुआ है तुम्हारा हमको,
दिल फिर भी कह रहा है जानम,
लबो को बंद रहने दो आँखो से बात करे।
#बेखुदअनुराग

Language: Hindi
1 Like · 404 Views

You may also like these posts

क्या है परम ज्ञान
क्या है परम ज्ञान
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
अंगूठी
अंगूठी
seema sharma
*जीने न दें दो नीले नयन*
*जीने न दें दो नीले नयन*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपने भीतर का रावण...
अपने भीतर का रावण...
TAMANNA BILASPURI
कर्म-बीज
कर्म-बीज
Ramswaroop Dinkar
कारगिल वीर
कारगिल वीर
डिजेन्द्र कुर्रे
एक ऐसा दोस्त
एक ऐसा दोस्त
Vandna Thakur
अमानत
अमानत
Mahesh Tiwari 'Ayan'
इन हसीन वादियों में _ गुजर गए कितने ही साल ।
इन हसीन वादियों में _ गुजर गए कितने ही साल ।
Rajesh vyas
" कू कू "
Dr Meenu Poonia
खुद के वजूद को।
खुद के वजूद को।
Taj Mohammad
चाहे हमें तुम कुछ भी समझो
चाहे हमें तुम कुछ भी समझो
gurudeenverma198
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
इतने failures के बाद भी अगर तुमने हार नहीं मानी है न,
पूर्वार्थ
"एक सैर पर चलते है"
Lohit Tamta
मानवता
मानवता
Shyam Sundar Subramanian
Revisiting the School Days
Revisiting the School Days
Deep Shikha
ए मेरे चांद ! घर जल्दी से आ जाना
ए मेरे चांद ! घर जल्दी से आ जाना
Ram Krishan Rastogi
कुंडलिनी
कुंडलिनी
Rambali Mishra
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
बसे हैं राम श्रद्धा से भरे , सुंदर हृदयवन में ।
जगदीश शर्मा सहज
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
*सुगढ़ हाथों से देता जो हमें आकार वह गुरु है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
वो मुझे पास लाना नही चाहता
वो मुझे पास लाना नही चाहता
कृष्णकांत गुर्जर
एक कलाकार/ साहित्यकार को ,
एक कलाकार/ साहित्यकार को ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
बिना पंख फैलाये पंछी को दाना नहीं मिलता
Anil Mishra Prahari
धुंधली छाया,
धुंधली छाया,
meenu yadav
■ 100% यक़ीन मानिए।
■ 100% यक़ीन मानिए।
*प्रणय*
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
फागुन महराज, फागुन महराज, अब के गए कब अइहा: लोक छत्तीसगढ़ी कविता
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ग़ज़ल __तेरी य़ादें , तेरी बातें , मुझे अच्छी नहीं लगतीं ,
ग़ज़ल __तेरी य़ादें , तेरी बातें , मुझे अच्छी नहीं लगतीं ,
Neelofar Khan
राह कठिन है राम महल की,
राह कठिन है राम महल की,
Satish Srijan
"जीवन की रेलगाड़ी"
Dr. Kishan tandon kranti
वक़्त को वक़्त
वक़्त को वक़्त
Dr fauzia Naseem shad
Loading...