असफलता का जश्न
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जिन्दगी के सफर में नाकामयाबी एक पड़ाव है, मंजिल नहीं। इसके आगे निकल कर ही इंसान विजेता बनता है। अमेरिका का आल टाइम फेवरेट प्रेसीडेंट अब्राहम थॉमस लिंकन भी जीवन में अनेक चुनाव हारे, लेकिन अन्त में राष्ट्रपति बनकर वो काम कर दिखाए, जो आज भी प्रशंसनीय माना जाता है। यानी अमेरिका से दास प्रथा की समाप्ति।
इसीतरह मिसाइल मैन के नाम से मशहूर भारत के पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम जी रामेश्वरम में अखबार बेचा करते थे, जिसके द्वारा बनाई गई प्रथम मिसाइल असफल रही थी।
प्रेरणा मैडम ने आगे कहा कि किसी को निराश होने की जरूरत नहीं, असफल स्टूडेंट्स अगले साल के विनर हैं। इसी तरह कम अंकों से उत्तीर्ण स्टूडेंट्स भी निराश ना हों।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी गुरुदेव रबीन्द्रनाथ टैगोर पढ़ाई के डर से स्कूल से भागे हुए छात्र थे। डॉ. भीमराव अम्बेडकर घोर जाति भेद का शिकार होकर भी सम्पूर्ण विश्व में ज्ञान के प्रतीक और दुनिया के श्रेष्ठतम वकील माने जाते हैं, जिन्होंने विश्व का विशालतम, महानतम और सुन्दरतम संविधान- “भारत का संविधान” लिखा।
प्रेरणा मैडम के इन उदाहरणों से बुझे हुए चेहरे में उम्मीद और हौसलों की चमक लौट आई थी। शायद यह असफलता का पहला जश्न था।
मेरी प्रकाशित 34 वीं कृति : ‘ककहरा’ लघुकथा-संग्रह
( दलहा, भाग-5 ) से,,,।
डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
साहित्य वाचस्पति
हरफनमौला साहित्य लेखक।