अमिट सत्य
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/16ff0797ce0b68e8b8c1bc2fd63b298f_baeac3eb53b7282156cccb1018c3dc9d_600.jpg)
सत्य कभी मिटता नहीं बस पड़ता है कमज़ोर।
झूंट जो आगे बढ़ता रहता मचा मचा कर शोर।।
मचा मचा कर शोर झुंट कभी भी टिक नहीं पाता।
पकड़ा जाये झूंट हमेशा सच जब सामने आता।।
कहे विजय बिजनौरी जग में झुंट के पैर नहीं होते।
सच के साथ चलने वाले जग में सुख की नींद सोते ।।
विजय कुमार अग्रवाल
विजय बिजनौरी।