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21 Nov 2022 · 1 min read

अब ना जीना किश्तों में।

कुछ उजले ख्वाब देखे है मेरी नजरों ने।
वफा का वादा किया है वक्त के लम्हों ने।।1।।

फिरसे जीने की तमन्ना दिल में जागी हैं।
अंधेरा मिटा है नई सुबह की किरणों से।।2।।

चलो मिलकर फिर से आबाद करते है।
जो बस्तियां जली थी फसाद के दंगों में।।3।।

ढूंढके लाते हैं हमसब खुशियां जीने में।
इस जिंदगी को अबना जीना किश्तों में।।4।।

चाहत में अब कहां दीवानगी मिलती है।
मुहब्बत भी शामिल हुई है अब धंधों में।।5।।

छोटा था बेतजुर्बेदार था फिरभी उसने।
जिम्मेदारियां उठा ली है अपने कंधों पे।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

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