अतीत
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अतीत के व्योम में विचरण करते हुए ,
कुछ सुखद अनुभूति लिए ,
कुछ दुःखों को समेटे हुए ,
वारिदों से घिरा पाता हूँ ,
कुछ अपराध बोध ग्रसित पश्चाताप की
वेदना लिए ,
कुछ असहाय, निष्क्रिय मानसिकता की
यातना लिए ,
कुछ अज्ञानवश, निरापद भाव की
प्रकृति लिए ,
कुछ हीन-भावनिहित परिस्थिति से समझौतों की नियति लिए ,
क्या खोया ? क्या पाया ? के चक्र में
उलझ कर रह जाता हूँ ,
इस प्रकार अतीत की स्मृति से
मैं स्तब्ध ! किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जाता हूँ।