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3 Mar 2017 · 1 min read

हा ये सच है कि गाँधी फिर आ नहीं सकते अहिंसा का पाठ पढ़ाने को…

हा ये सच है कि गाँधी फिर आ नहीं सकते अहिंसा का पाठ पढ़ाने को…
हा ये सच है कि अब बुद्ध आ नहीं सकते जीवन का मर्म समझाने को…

हा ये सच है कि राणा फिर आ नहीं सकते रण का जौहर दिखलाने को…
हा ये सच है कि अब प्रताप आ नहीं सकते फिर मेवाड़ बचाने को…

हा ये भी सच है आजाद–भगत फिर आ नहीं सकते देशप्रेम की ज्वाला धधकाने को..
हा सच है ये की अब बिस्मिल आ नहीं सकते आजादी के गीत रचाने को…

हा ये सच है सुभाष फिर आ नहीं सकते आजाद हिंद फौज बनाने को…
हा ये भी सच है अब कलाम आ नहीं सकते खुली आँखों से स्वप्न सुझाने को…

हा ये सच है रानी लक्ष्मी फिर आ नहीं सकती अपनी झाँसी के हित में रणचंडी बनने को…
हा ये भी सच है अब महारानी पद्मिनी आ नहीं सकती जौहर इतिहास दिखाने को…

सब सच है और सब इतिहास यही भारत की धरती का…
शून्य से लेकर इसरो तक इन सबको मन से दोहराया है…

हा सच है ये सब फिर आ नहीं सकते भारत को स्वर्णिम बनाने को…
पर ये भी सच है ये सब जीवित अंदर स्वर्णिम भारत का पथ दिखलाने को…

✍कुछ पंक्तियाँ मेरी कलम से : अरविन्द दाँगी “विकल”

Language: Hindi
386 Views
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