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11 Jun 2023 · 1 min read

■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक ब

■ एक होते हैं पराधीन और एक होते हैं स्वाधीन। एक को सांस तक बिना आवाज़ लेनी पड़ती है। दूसरे पर कोई पाबंदी नहीं। मन चाहे जिसे काटे, जी करे उसे काटे।।
■प्रणय प्रभात■

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