Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Apr 2017 · 1 min read

सोचा रात भर मैंने

सोचा रात भर मैंने, मैं क्यों तक़लीफ़ सहता हु,
मर्ज़ मेरा तुमको पता है, मैं फिर क्यों दर्द सहता हु,

आईने के सामने खड़े होकर, मैं तुमको पुतलियों में ढूंढता हु,
तिनका नहीं तुमको पता है, फिर पलके खोल में मुंद लेता हु,

तैर रहा दिल में प्यार तेरा, मैं तुमको वंहा किनारा दिखता हु,
साहिल पर दुब आता हु, फिर भी खुद को प्यासा ही पाता हु,

सोचा रात भर मैंने, मैं क्यों तक़लीफ़ सहता हु,
मर्ज़ मेरा तुमको पता है, मैं फिर क्यों दर्द सहता हु,

Language: Hindi
344 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
मुहब्बत का ईनाम क्यों दे दिया।
सत्य कुमार प्रेमी
*शातिर चोर (हास्य कुंडलिया)*
*शातिर चोर (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ये  कहानी  अधूरी   ही  रह  जायेगी
ये कहानी अधूरी ही रह जायेगी
Yogini kajol Pathak
"जर्दा"
Dr. Kishan tandon kranti
सलीन पर लटके मानवता के मसीहा जीसस के स्वागत में अभिव्यक्ति 
सलीन पर लटके मानवता के मसीहा जीसस के स्वागत में अभिव्यक्ति 
Dr. Girish Chandra Agarwal
जवानी
जवानी
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
तुम्हारी खुशी में मेरी दुनिया बसती है
Awneesh kumar
गीत
गीत
Shiva Awasthi
Migraine Treatment- A Holistic Approach
Migraine Treatment- A Holistic Approach
Shyam Sundar Subramanian
"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
दलित साहित्य के महानायक : ओमप्रकाश वाल्मीकि
Dr. Narendra Valmiki
जितने चंचल है कान्हा
जितने चंचल है कान्हा
Harminder Kaur
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
थी हवा ख़ुश्क पर नहीं सूखे - संदीप ठाकुर
Sundeep Thakur
अम्न का पाठ वो पढ़ाते हैं
अम्न का पाठ वो पढ़ाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
मानव के बस में नहीं, पतझड़  या  मधुमास ।
मानव के बस में नहीं, पतझड़ या मधुमास ।
sushil sarna
गजल सी रचना
गजल सी रचना
Kanchan Khanna
*जन्म या बचपन में दाई मां या दाया,या माता पिता की छत्र छाया
*जन्म या बचपन में दाई मां या दाया,या माता पिता की छत्र छाया
Shashi kala vyas
बाल कविता: मोर
बाल कविता: मोर
Rajesh Kumar Arjun
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
किसी को दिल में बसाना बुरा तो नहीं
Ram Krishan Rastogi
कलियुग
कलियुग
Bodhisatva kastooriya
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
मुख्तशर सी जिन्दगी हैं,,,
Taj Mohammad
मुझसे  नज़रें  मिलाओगे  क्या ।
मुझसे नज़रें मिलाओगे क्या ।
Shah Alam Hindustani
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
जो हुआ वो गुज़रा कल था
जो हुआ वो गुज़रा कल था
Atul "Krishn"
आंसूओं की नमी का क्या करते
आंसूओं की नमी का क्या करते
Dr fauzia Naseem shad
#शर्माजीकेशब्द
#शर्माजीकेशब्द
pravin sharma
सम्पूर्ण सनातन
सम्पूर्ण सनातन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
अधि वर्ष
अधि वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
Sidhartha Mishra
देवतुल्य है भाई मेरा
देवतुल्य है भाई मेरा
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...