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2 Jan 2017 · 1 min read

मुलायम परि’वार’

एक तरफ अखिलेश, एक तरफ शिवपाल हैं,
नेताजी के लिए विकट संकट का ये काल है,
आरोप पुत्र-मोह का, तो भ्रातृ प्रेम का सवाल है,
समाजवादियों के लिए परिवार का बवाल है,
सूबे के मुख्यमंत्री का मानो कठपुतली सा हाल है,
साफ छवि भी काट रही मानो अपनों के गाल हैं,
कौन है विभीषण कुनबे का, ये आज भी सवाल है,
कोई कहता इसके पीछे ठाकुर जी दलाल हैं,
कोई कहता साधना जी की कैकयी सी ये चाल है,
कोई कहता इसके पीछे भाजपा का कमाल है,
कोई कहता खुद सपा का ये प्रायोजित बवाल है,
कोई कहता कौएद के विलय से बिगड़े हाल हैं,
कोई कहता टीपू, औरेंगजेब जैसे शब्द चाल हैं,
कोई कहता चचा-भतीजे के अहं का सवाल है,
कोई कहता इसके पीछे अपने ही रामगोपाल हैं,
कोई कहता ये सारा फसाद लूट का ही माल है,
कुछ भी हो जबाब लेकिन कुर्सी का सवाल है,
मोदी-माया जी के लिए ये मौका बेमिशाल है,
कहे ‘राहल’ छवि अखिलेश की भुनाने का साल है,
मिटा दो दूरियाँ अपनों की, चुनावी नया साल है।

Language: Hindi
417 Views
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